ओलंपिक खेलों पर निबंध | Essay on rise of model Olympic games in Hindi

 ओलंपिक खेलों पर निबंध


भूमिका- ओलंपिक खेलों का जन्म ईसा से 776 वर्ष पूर्व यूनान के ओलंपिया नामक नगर में हुआ। आरम्भ में इन खेलों को धार्मिक भावना से खेला जाता था। लोगों का विश्वास था कि ओलंपिक पर्वत पर देवताओं का निवास था। खेलों में भाग लेने वाला हर व्यक्ति सर्वप्रथम यहाँ के जिस मंदिर में जाकर पूजा करता था, उस मंदिर के कुंजो में उगे जैतून के पौधों के पत्तों से एक मुकुट बनाया जाता था जो विजेता खिलाडियों को पहनाया जाता था। आज के दृष्टिकोण से विश्व के राष्ट्रों में खेलकूद की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का नाम ओलंपिक है। ओलंपिक खेल 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना का परिचय देता है ।

आरंभिक स्वरूप- ओलंपिक खेलों का आयोजन हर चार वर्ष बाद यूनान में होता था। सन् 776 ई० पू० से "सन् 1987 तक इन खेलों का आयोजन जून और जुलाई मास में होता रहा। आरम्भ में केवल 200 मीटर की दौड़ का ही आयोजन होता था। इसके बाद कुश्ती, मुक्केबाजी, रथदौड़, शारीरिक व्यायाम, लम्बी व ऊँची कूद तथा भाला फेंकना इसमें सम्मिलित किया गया। उस समय इन खेलों का आयोजन ओलंपिया में ही किया जाता था। जब रोम ने यूनान पर अधिकार कर लिया तो इन खेलों का आयोजन रोम में किया रोम के राजा की मृत्यु के बाद ओलंपिक खेल पुन: ओलंपिया में होने लगे । इन खेलों के कुछ नियम थे। धन की कमी के कारण इन खेलों का आयोजन कुछ समय तक पूरी तरह से बन्द हो गया।

पुनः आयोजन- उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में शिक्षक पियेर-द-कुबर्ते ने ओलंपिक खेलों को पुनः आरम्भ किया। कुबर्ते ने सोचा कि ये खेल विभिन्न राष्ट्रों के बीच भाईचारे और सहयोग की भावना का विस्तार करेंगे अतः 16 जून 1896 को उन्होंने विश्व भर के खेल प्रेमियों की एक सभा बुलाई। प्रस्ताव रखा गया कि खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन हर चार वर्ष बाद किया जाए। इस प्रकार ओलंपिक खेल को फिर से आरम्भ किया गया।

अगले चार वर्ष पश्चात् खेलों का आयोजन कहाँ होगा, इस का निर्धारण पहले से कर लिया जाने लगा तथा हर चार साल बाद ओलंपिक खेलों की प्रतियोगिता होने लगी। खेलों के संचालन के लिए एक समिति का आयोजन किया गया। इस आयोजन में बहुत धन खर्च होता है। प्रथम दिन सभी देशों के खिलाड़ी अपने देश का झण्डा लेकर परेड में सम्मिलित होते हैं। इसके बाद सफेद रंग का ध्वज फहराते हुए खेलों का उद्घाटन किया जाता है। इन खेलों का प्रतीक है- एक दूसरे से गूँथे हुए पाँच छल्ले। ये पाँचों छल्ले पाँचों महाद्वीपों की एकता के प्रतीक हैं। खेलों के आरम्भ होने से पूर्व हर खिलाड़ी शपथ लेता है। विश्व के चोटी के खिलाड़ी चार वर्ष तक साधना करते हुए नई उमंग से इनमें भाग लेते हैं।

इस प्रकार आधुनिक ओलंपिक खेल प्रतियोगिता यूनान के एथेंस नगर में हुई, जिसमें आठ देशों ने भाग लिया था। इन प्रतियोगिताओं में अमेरिका के खिलाड़ियों ने सबसे अधिक स्वर्ण पदक प्राप्त किए थे। इसके उपरांत सन 1900 में पेरिस में ओलंपिक खेलों का आयोजन हुआ तथा विश्व के 12 देशों ने प्रतियोगिताओं में भाग लिया था। तीसरी प्रतियोगिता सन् 1904 में सेंट लुई अमेरिका में आयोजित हुई। चौथी ओलंपिक प्रतियोगिता 1908 ई० में लंदन में हुई । इस प्रतियोगिता में ब्रिटेन के खिलाड़ियों ने सबसे अधिक पदक प्राप्त किए। इसके बाद तो ओलंपिक खेलों का महत्त्व व सम्मान निरंतर बढ़ता ही चला गया।

प्रथम विश्वयुद्ध के कारण सन् 1916 में तथा दूसरे विश्वयुद्ध सन् 1940 ई0 में विश्व में अशांति का वातावरण उत्पन्न हो गया था। इसलिए इन प्रतियोगिताओं का आयोजन नहीं हो पाया था। सन् 1920 ई0 में पहली बार भारत के खिलाड़ियों ने अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया था। नौवीं ओलंपिक प्रतियोगिता सन् 1928 ई0 में हॉलैण्ड के एमस्टर्डम नगर में हुई और भारत ने हॉकी में स्वर्ण पदक जीता था। हमारे देश ने फिर सन 1932ई0 में हॉकी में स्वर्ण पदक जीता। सन् 1936 ई० में इन प्रतियोगिताओं का आयोजन बर्लिन में किया गया। इस बार दुनियाँ के 53 देशों ने खेलों में भाग लिया। जर्मन के बादशाह हिटलर ने इन खेलों में 20 करोड रूपये खर्च किए थे। इस बार भारत की टीम के कप्तान ध्यानचंद थे जिन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता था। इस बार भारत ने फिर हॉकी में प्रथम स्थान प्राप्त करके देश के सम्मान में चार चाँद लगा दिए थे। इसी वर्ष से ओलंपिक उत्सव का आरंभ ओलंपिक ज्योति से किया जाने लगा था। भारत ने छठी बार हॉकी में स्वर्ण पदक प्राप्त किया था। 1964 में टोक्यो में इनका आयोजन हुआ। यह ओलंपिक का एशिया में पहला आयोजन था। मास्को में भारत ने पुनः स्वर्ण पदक प्राप्त किया। 1996 ई० में ये प्रतियोगिताएँ एटलांटा में हुई।

उपसंहार- ओलंपिक खेलों का महत्त्व सम्पूर्ण विश्व के लिए बहुत अधिक है। सभी राष्ट्र एक दूसरे के काफी निकट आए हैं। विश्व बंधुत्व की भावना का प्रसार हुआ है। ओलंपिक खेलों ने खिलाडियों को सर्वाधिक मान प्रदान किया है। विद्यार्थियों को चाहिए कि वे अपनी खेल प्रतिभा का विकास इस प्रकार करें कि एक दिन वे भी सर्वोच्छ सम्मान प्राप्त ओलंपिक प्रतियोगिता में भाग ले सके और अपने देश के सम्मान को बढ़ा सकें।

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