राष्ट्र विकास और युवा शक्ति | राष्ट्र निर्माण में युवा शक्ति का योगदान पर निबंध #निबंध
प्रस्तावना - किसी देश की शक्ति का मुख्य आधार उस देश की युवा शक्ति होती है। जिस प्रकार प्रकृति असीम शक्ति से युक्त है उसी प्रकार युवकों की शक्ति का भी कोई किनारा नहीं होता। देश के युवा ही राष्ट्रीय आधार पर विकास का मार्ग बनाने में सक्षम होते हैं। यदि नदी भयंकर रूप धारण करती है तो किनारों को तोड़कर सभी सीमाएँ लाघ जाती है तथा आसपास के क्षेत्र में विनाशकारी लीला बना देती है। इसी प्रकार वायु जब भयंकर रूप से चलना शुरू करती है तो तूफान, आँधी रूप धारण कर लेती है। यहाँ तक की विशालकाय पेड़ों, भवनों, यातायात के साधनों को भी जड़ से उखाड़ फेंकती है। सूर्य प्रचण्डता धारण करता है तो वनस्पति एवं प्राणियों पर भयंकर प्रभाव छोड़ता है। मनुष्य भी इसी प्रकृति की एक संतान है। वह भी एक शक्ति का भण्डार है जिससे वह कठिन से कठिन काम को भी सरल बना लेता है। मनुष्य का यौवनकाल शक्ति से भरपूर होता है। युवा शक्ति पर किसी प्रकार का बंधन लगा पाना कठिन है। जब यही शक्ति राष्ट्र के निर्माण में अपना सहयोग देती है तो किसी प्रकार की समस्या उनके सामने टिक नहीं पाती है और राष्ट्र दिन दुगनी रात चौगुनी उन्नति करता हुआ एक बड़ी शक्ति धारण कर लेता है। उसमें नवयुवकों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है ।
युवा शक्ति का राष्ट्र से सम्बंध- युवक तथा राष्ट्र एक पहिये के दो पहलू हैं। राष्ट्र तथा युवक एक दूसरे के पूरक हैं। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि राष्ट्र और युवक में इतना गहरा संबंध होता है कि इसे किसी भी दशा में समाप्त नहीं किया जा सकता।
राष्ट्र और युवक का संबंध माँ तथा पुत्र के संबंध के समान होता है। पुत्र माँ से अलग नहीं हो सकता और माँ पुत्र से अलग नहीं हो सकती। इसी प्रकार राष्ट्र तथा युवा शक्ति का एक दूसरे से गहरा संबंध है। युवक देश-रक्षा व देश सेवा का काम करते हैं। देश की उन्नति, देश की सुरक्षा, सभी के विकास कार्यों का भार नवयुवकों के कंधों पर है। असीम शक्ति का भंडार राष्ट्र की सच्ची शक्ति ही नवयुवक हैं युवा शक्ति ही समाज तथा राष्ट्र को नया रूप देने में समर्थ है। युवा शक्ति ही सभी सपनों को साकार कर सकती है। इस शक्ति को देश की रीढ़ की हड्डी भी कहा जा सकता है। दुनियाँ में जहाँ भी परिवर्तन हुआ, क्रांति आई, उसमें युवा शक्ति का अद्भुत योगदान था। हम बर्मा सरकार का उदाहरण देख सकते हैं। वहाँ पर सैनिक सरकार का अन्त करने में वहाँ के कालेज व विश्वविद्यालयों के छात्रों का मुख्य हाथ था। हमारे देश में युवा शक्ति ने ही अंग्रेज सरकार को जड़ से उखाड़ फेंका था ।
कवि मैथिलीशरण गुप्त ने युवा शक्ति की सही पहचान करके कहा था -
'भारत के सौभाग्य विधाता, भारत के अधिकारी ।
भारत विजय क्षेत्र में आओ, प्यारे भारतीय विद्यार्थी।'
रूढ़ियों एवं अन्धविश्वास का विरोध- आज का युवक जागरूक है। आज विज्ञान ने भी बहुत उन्नति कर ली है। आज का युग विज्ञान का युग कहा जाता है। मानव हर दिन नए-नए आविष्कार करता है परन्तु दुख का प्रश्न यह है कि समाज में अनेक प्रकार के अंधविश्वास फैले हुए हैं। जब देश जात-पात, रंगभेद, सती प्रथा, दहेज प्रथा व बाल विवाह जैसी अंधविश्वासी व रूढ़ीवादी प्रथाओं को छोड़ देगा तभी वह एक सुदृढ़ राष्ट्र बन सकता है। राष्ट्र हित में जितना ठोस कार्य नवयुवकों द्वारा किया जा सकता है, उतना किसी और के द्वारा नहीं।
आर्थिक क्षेत्र में योगदान- युवा शक्ति का आर्थिक क्षेत्र में भी मुख्य योगदान रहा है। आर्थिक क्षेत्र में मुख्य आधार युवा शक्ति है। किसी भी राष्ट्र की अर्थिक व्यवस्था सुदृढ़ अथवा कमजोर होने का श्रेय युवा शक्ति को जाता है। भारत एक विशाल देश है। यहाँ की 80 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है। आर्थिक "दृष्टि से ग्रामीणों का जीवन पिछड़ा हुआ है। राष्ट्र को अन्न देने वाला किसान निर्धन अवस्था में रहता है व देश की पूँजी कुछ ही हाथों में समा कर रह जाती है। पूँजीपति की पूँजी बढ़ती जा रही है और गरीब और गरीब होता जा रहा है।
राष्ट्र की युवा शक्ति ही इस अव्यवस्था को समाप्त करने में कारगर कदम उठा सकती है। इस दिशा में युवकों को बहुत सी सफलता भी प्राप्त हुई है परंतु फिर भी बहुत काम शेष हैं। युवा शक्ति को चाहिए कि इस पुनीत कार्य में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले तथा सुंदर समाज बनाने में योगदान दे ।
राजनीति में युवक- भारत देश में लोकतंत्र शासन प्रणाली की व्यवस्था है। युवा शक्ति का उत्तरदायित्व है कि वह सोच समझकर योग्य उम्मीदवार का पक्ष लेकर वोट देने पर जोर दें। कुछ लोग विश्वविद्यालयों के छात्रों को राजनीति से दूर रखने की बात करते हैं, यह उन लोगों का गलत विचार है। विश्वविद्यालय के छात्रों में जोश व उमंग होती है। यदि इन को सही दिशा दी जाए तो यही हड़ताल व तोड़फोड़ छोड़कर देश के लिए रचनात्मक कार्य कर सकते हैं। अतः छात्रों को राजनीति में भाग लेकर देश के लिए गौरव व सम्मान के लिए प्रयास करते रहना चाहिए ।
उपसंहार - देश का युवा वर्ग इन सभी चुनौतियों का कमर कसकर मुकाबला करने को तैयार हों। देश में छिपे भ्रष्ट लोगों को सबक सिखाएँ तभी राष्ट्र के विकास का कार्य चल सकेगा। युवकों में अपार शक्ति का भण्डार है। नेताओं को भी युवा शक्ति का प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए। ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जिसमें युवा शक्ति को नव निर्माण व विकास कार्यों में भाग लेने के अवसर मिलें। देश की उन्नति में अपनी शक्ति का भरपूर प्रयोग कर सकें। आज सर्वाधिक आवश्यकता नैतिक चरित्र की स्थापना, राष्ट्रीय एकता की स्थापना और स्वच्छ जीवन व्यतीत करने की है। यह कार्य युवकों के योगदान के बिना संभव नहीं है।
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