समाचार पत्र पर निबंध
'झुक जाते हैं उनके सम्मुख, गर्वित ऊँचे सिंहासन
बाँध न पाया उन्हें आज तक, कभी किसी का अनुशासन ।
निज विचारधारा के पोषक, हैं प्रचार के दूत महान्
समाचार पत्रों का करते, इसलिए तो सब सम्मान ।। '
प्रथम समाचार-पत्र - भारत में जिस पहले समाचार-पत्र का आरम्भ हुआ था उसका नाम था- 'समाचार दर्पण' । उसके बाद 'उदन्त मार्तण्ड' का प्रकाशन हुआ। तत्पश्चात् 1850 में राजा शिवप्रसाद सितारे हिन्द ने 'बनारस' अखबार' निकाला। इसके बाद तो भारत में पत्र-पत्रिकाओं की बाढ़ सी आ गई। आज देश के प्रत्येक भाग में समाचार-पत्रों का प्रकाशन हो रहा है। कुछ ऐसे समाचार पत्र भी हैं, जिनका प्रकाशन नियमित रूप से होता है,
जैसे- दैनिक हिन्दुस्तान, नवभारत, पंजाब केसरी, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण आदि। परन्तु सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात तो यह है कि आज समाचार-पत्र उद्योग एक स्थानीय उद्योग बन गया है, जिससे लाखों लोग जुड़े हैं।
लाभ- समाचार-पत्रों के अनेक लाभ हैं। आज के युग में इनकी उपयोगिता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इनके द्वारा हम घर बैठे संसार में घटित होने वाली घटनाओं की जानकारी सरलता से प्राप्त कर लेते हैं। यदि समाचार-पत्रों को विश्व जीवन का दर्पण कहें तो अतिशयोक्ति न होगी। इनसे पाठक का मानसिक विकास होता है। उनकी जिज्ञासा शांत होती है और साथ ही उनकी ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा तीव्र हो जाती है। समाचार-पत्र एक ऐसी आवाज है जो एक देश से दूसरे देश तक पहुँचती है जिससे भावना एवं चिंतन के क्षेत्र का विकास होता है। समाचार-पत्रों से व्यापारियों को विशेष लाभ होता है, वे विज्ञापनों द्वारा वस्तुओं की बिक्री में वृद्धि करते हैं। इनमें रिक्त स्थानों की सूचना, सिनेमा के समाचार, खेल-जगत की गतिविधियाँ, परीक्षाओं के परिणाम, वैज्ञानिक उपलब्धियाँ, वस्तुओं के उतार-चढ़ाव, कविताएँ, कहानियाँ एवं लेख प्रकाशित होते रहते हैं। इनमें महान् व्यक्तियों की जीवन-गाथा, धार्मिक, सामाजिक उत्सवों का विस्तार से परिचय दिया जाता है। समाचार-पत्र इतने उपयोगी होते हुए भी कई कारणों से हानिकारक हैं। प्रायः समाचार-पत्र किसी न किसी धार्मिक एवं राजनैतिक पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं। अनेक सम्पादक सत्ताधीशों की अधिकतर चापलूसी करके सत्य को छिपा देते हैं। कुछ समाचार-पत्र व्यावसायिक दृष्टि को प्राथमिकता देते हैं। कभी-कभी अश्लील कहानियाँ और कविताएँ भी देखने को मिल जाती हैं। इस प्रकार इस प्रभावशाली साधन का दुरुपयोग हानिकारक होता है।
उपसंहार - सच्चा समाचार पत्र वह है जो निष्पक्ष होकर अपना कर्त्तव्य पूरा करे। वह जनता के हितों का सदा ध्यान रखे और लोगों को सत्य से परिचित कराए। वह दुराचारियों और अत्याचारियों की पोल खोले। यदि समाचार-पत्र अपने कर्त्तव्य का पालन करें तो यह हमारे लिए वरदान है। ये न्याय के पक्षधर होने चाहिएँ। ये राष्ट्र की भाषा के विकास में सहायक हों। नए साहित्यकारों को प्रोत्साहन देने वाले हों, समाज तथा राष्ट्र को जगाने वाले हों।
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