पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध
भूमिका- पर्यावरण शब्द का निर्माण 'परि' तथा 'आवरण' के योग से बना है। 'परि' का अर्थ है 'चारों ओर' तथा 'आवरण' का अर्थ है 'ढ़कने वाला'। जो हमारे चारों ओर फैलकर हमें ढके हुए है। हमारे चारों तरफ का सम्पूर्ण वातावरण ही पर्यावरण कहलाता है। प्रकृति ने मनुष्य के लिए एक स्वच्छ एवं पवित्र पर्यावरण प्रदान किया था परन्तु मनुष्य ने अपनी भौतिक उन्नति के लिए इसे दूषित कर दिया। प्राकृतिक वायु, जल, अन्न को प्रदूषित करना ही पर्यावरण प्रदूषण कहलाता है। प्रदूषण विज्ञान की देन है। देश की औद्योगिक समृद्धि का अभिशाप है। सच्चाई तो यह है कि मानव जाति को मृत्यु के मुँह में धकेलने का कुप्रयास है। यह प्रदूषण शरीर में अनेक रोगों के प्रवेश की सुविधा का साधन है। आरम्भ में यह वातावरण प्रदूषण से रहित था। प्रकृति का संतुलन बना हुआ था। प्रदूषण अनेक प्रकार का है। मुख्य रूप से हम वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण एवं ध्वनि प्रदूषण पर विचार करते हैं
वायु प्रदूषण - शुद्ध वायु पर मानव जीवन आधारित है। यदि वायु शुद्ध होगी तो सभी जीव शुद्ध वायु में सांस ले सकेंगे। मानवता स्वस्थ होगी और उन्नति के पथ पर बढ़ सकेगी। भारत की जनसंख्या तेज रफ्तार से बढ़ती जा रही है। भूमि पर जंगलों का अंधाधुंध कटान हुआ। ज्यादा से ज्यादा जमीन पर खेती-बाड़ी होने लगी, उद्योग स्थापित हुए तथा आवास का निर्माण हुआ। वृक्ष वायु को शुद्ध रखते हैं और जलवायु को संतुलन में रखते हैं। वृक्षों के अभाव से वायु की शुद्धता में कमी आई है। यातायात और उद्योगों ने इस प्रदूषण को चरम सीमा पर पहुँचाया है। कारखानों एवं यातायात के साधनों से वायु में अत्यधिक मात्रा में धुआँ मिल गया है। गैसों के कारण वायु प्रदूषण की मात्रा में वृद्धि हुई है। दिल्ली जैसे महानगरों की वायु का प्रदूषण मानवता के लिए खतरे का संकेत है।
कारण - आज मनुष्य के सामने पर्यावरण प्रदूषण की समस्या खतरा बनकर खड़ी है। पर्यावरण प्रदूषण के अनेक कारण हैं। उद्योग एवं उर्जा संयत्रों से पर्यावरण सर्वाधिक प्रभावित हुआ है। इससे वातावरण में विषैली गैस फैल गई है। मशीनों से निकलने वाला मल अनेक रोगों का कारण बनता जा रहा है। सघन आबादी तथा वृक्षों का कटान भी पर्यावरण को असंतुलित बना रहा है। रसायनिक खाद से खाद्य पदार्थों का स्वाद एवं गुण समाप्त होते जा रहे हैं। प्रदूषण वृद्धि की यही गति रही तो शीघ्र ही वह समय आ जाएगा जब सांस लेना भी कठिन होगा।
प्रदूषण से बचने के उपाय- प्रदूषण की समस्या आज के युग की सबसे भयंकर समस्या है। यदि समय रहते इसके उपाय नहीं किए गए तो यह मनुष्य के लिए खतरनाक सिद्ध होगा। युद्धों में युद्ध सामग्री के प्रयोग ने इतना अधिक प्रदूषण किया कि पूरी मानवता ही उसके परिणामों का विचार करके काँप उठी। हमारी सरकार ने अलग से पर्यावरण विभाग की स्थापना की है। हर तरह से प्रदूषण की मात्रा को पूरी तरह से नष्ट न कर सकें तो भी प्रदूषण की मात्रा को कम से कम स्तर तक तो लाया ही जा सकता है। जो रसायन अत्यधिक जहरीले हैं और प्रदूषण को बढ़ाते हैं उनके प्रयोग पर पूर्ण पाबन्दी लगाई जानी चाहिए। जैविक खाद का प्रयोग किया जाना चाहिए। अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिएँ। गाँवों के लोगों में नगरीय जीवन के प्रति बढ़ते आकर्षण को समाप्त करके गाँव में ही सभी सुविधाएँ प्रदान की जानी चाहिएँ। वृक्षों के अंधाधुंध कटान को रोकना होगा। लाऊड स्पीकरों के प्रयोग पर पूर्ण पाबंदी लगाई जानी चाहिए। प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को आबादी वाले क्षेत्रों से दूर लगाया जाना चाहिए। अधिक धुआँ छोड़ने वाले और अधिक ध्वनि करने वाले वाहनों को रोकना चाहिए। बढ़ती जनसंख्या को रोकना भी प्रदूषण को कम करने में काफी सहायक होगा।
उपसंहार - आज पूरी मानवता प्रदूषण के प्रति सचेत हुई है। यह प्रदूषण मनुष्य जीवन के प्रति खतरनाक है। अतः सभी को इससे उत्पन्न खतरों का सामना करने का प्रयास करना होगा। स्वच्छ वातावरण में ही हम स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मस्तिष्क पा सकते हैं। विश्व में श्रेष्ठ स्वास्थ्य, भोजन और रहन-सहन के लिए प्रदूषण से मुक्ति पाना परम आवश्यक है। प्रदूषण वृद्धि में मनुष्य की लापरवाही का मुख्य हाथ है। सुख, समृद्ध एवं उन्नत भविष्य के लिए प्रदूषण को समूल नष्ट करना होगा।
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