मनोरंजन के आधुनिक साधन
मनोरंजन मनुष्य के जीवन का एक अनिवार्य अंग है। केवल काम करते रहने से मनुष्य के जीवन में नीरसता आ जाती है। यदि काम के साथ-साथ मनोरंजन के भी समान अवसर प्राप्त हों तो काम में और अधिक गति आ जाती है। मनुष्य को अपना जीवन निर्वाह करने के लिए अत्यधिक परिश्रम करना पड़ता है। काम करते रहने से उसका मन, मस्तिष्क और शरीर थक जाता है। एक ही काम को लगातार करते रहने से उसका जी उचट जाता है। अतः वह अपने मन को बहलाने और थकान को मिटाने के लिए मनोरंजन का कोई साधन ढूँढने लगता है। जब से मनुष्य इस संसार में आया है, वह किसी न किसी तरह अपना मनोरंजन करता रहा है।'सदा मनोरंजन देता है, मन को शांति वितान ।
काटों के पथ पर ज्यों मिलती, फूलों की मनहर छाया।'
मनोरंजन के आधुनिक साधनों में रेडियो, दूरदर्शन और सिनेमा का प्रमुख स्थान है। इससे घर बैठे ही समाचार, संगीत, भाषण लोकसभा तथा विधानसभा की समीक्षा, वाद-विवाद, नाटक, प्रहसन आदि सुनकर लोग अपना मनोरंजन करते हैं। रेडियो लम्बे समय से लोगों का मनोरंजन करता आया है। भारत के पिछड़े और दूर-दराज के प्रदेशों में बाहरी दुनिया से सम्पर्क का रेडियो एक प्रमुख साधन है। 1927 में भारत में प्रथम रेडियो स्टेशन स्थापित किया गया और आज तो भारत के हर प्रांत में रेडियो स्टेशन स्थापित हो चुके हैं। रेडियो से समाचार ही नहीं बल्कि भरपूर मनोरंजक एवं ज्ञानवर्द्धक सामग्री भी प्राप्त होती है। भारत जैसे देश में रेडियो शिक्षा का एक मुख्य साधन है। खेत में हल चलाता किसान, काम करता मजदूर, देश की सीमा पर रक्षा करता सिपाही सभी रेडियो कार्यक्रमों का आनंद ले सकते हैं।
मनोरंजन के क्षेत्र में दूरदर्शन तथा वी० सी० आर० का पदार्पण जरा देर से हुआ परन्तु देखते-ही-देखते इसने सबको अपनी ओर आकर्षित कर लिया। मनोरंजन के क्षेत्र में दूरदर्शन ने क्रांति ला दी है। यह दृष्य-श्रव्य माध्यम स्थान और काल की सीमाओं को तोड़ता हुआ शिक्षा और मनोरंजन के उन्नत अवसर एक साथ समेट लाया है। टी० वी० द्वारा हम घर बैठे पुराने या उसी समय चल रहे कार्यक्रमों के सीधे प्रसारण का भरपूर आनंद उठा सकते हैं। वी० सी० आर० का प्रचार दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। लोग घर बैठकर अपनी पसंद का कोई भी रिकार्ड किया गया कार्यक्रम या अपनी पसंद की कोई भी फिल्म या अन्य कार्यक्रम देख सकते हैं।
संगीत सम्मेलनों तथा कवि सम्मेलनों से भी हमारा बहुत अधिक मनोरंजन होता है। सर्कस देखना भी मनोरंजन का एक अच्छा साधन है। कुछ लोग ताश आदि के द्वारा जुआ खेलते हैं। कई लोगों ने तो शराब पीकर दंगा फसाद करना भी मनोरंजन का साधन बनाया हुआ है। विनाश और पतन की ओर ले जाने वाले ऐसे मनोरंजन के साधनों से हमें बचना चाहिए। अतः हमें मनोरंजन के ऐसे साधन अपनाने चाहिए जो हमारे ज्ञान और चरित्र को विकसित करें।
मनोरंजन से हमारे मन का बोझ हलका होता है और हमारा तनाव दूर होता है, जिससे हमारे जीवन में नई चेतना का संचार होता है परन्तु हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अधिकता हर चीज की बुरी होती है। यदि विद्यार्थी पढ़ाई-लिखाई को छोड़कर दिन-रात मनोरंजन में लगे रहें तो उससे उन्हें बहुत नुकसान होगा। इसलिए समय के अनुसार ही मनोरंजन के साधनों का लाभ उठाना चाहिए। हमें ऐसे मनोरंजन के साधनों को चुनना चाहिए जिससे मनोरंजन के साथ-साथ हमारे ज्ञान में भी वृद्धि हो । कवि एवं साहित्यकारों को भी साहित्य की रचना करनी चाहिए जिससे मनोरंजन के साथ-साथ हमारे ज्ञान में भी वृद्धि हो। राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त ने ठीक ही कहा है-
"केवल मनोरंजन ही कवि का न कर्म होना चाहिए।
उसमें उचित उपदेश का भी मर्म होना चाहिए।"
#TAGS
मनोरंजन के आधुनिक साधन पर लेख | मनोरंजन के आधुनिक साधन निबंध हिंदी | मनोरंजन के आधुनिक साधन short essay | मनोरंजन के आधुनिक साधन लेख | Essay on Modern Means of Entertainment in Hindi | Essay on Means of Entertainment in Hindi #wificlass20 #wificlass
0 टिप्पणियाँ
Please do not enter any spam link in the comment box.