विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध

 विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध हिंदी में | SCIENCE IS A BOON OR CURSE ESSAY IN HINDI

विज्ञान वरदान या अभिशाप

प्रस्तावना :- आज विज्ञान का युग है। विज्ञान का अर्थ है- विश्लेषित ज्ञान। चारों ओर वैज्ञानिक अनुसंधान एवं चमत्कारों का प्रभाव है। विज्ञान की उन्नति से मनुष्य का जीवन ही आमूल रूप से बदल गया है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान की उपलब्धियों का प्रभाव स्पष्ट रूप से देख जा सकता है। विज्ञान ने मनुष्य के जीवन को सुखी व आरामदायक बना दिया है शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य और उद्योग के क्षेत्र में कल्पनातीत प्रगति हुई है ।

विज्ञान ने मनुष्य को अपरिमित शक्ति प्रदान की है। यह प्राणिमात्र के लिए जीवनदायिनी शक्ति का पुंज है। काल और स्थान की दूरी को विज्ञान ने समाप्त कर दिया है। अंधो को आँखें प्रदान की व पंगु को पैर प्रदान किए हैं। नित्य प्रति होने वाले नए-नए आविष्कार संसार में नई क्रांति ला रहे हैं। आज संसार में वही देश उन्नत कहलाता है, जो विज्ञान के आधार पर औद्योगिक उन्नति करता है ।

विज्ञान वरदान - आज विज्ञान की उन्नति ने यह सिद्ध कर दिया है कि मनुष्य सभी प्रकार की उन्नति व विकास विज्ञान के सहारे ही कर सका है। मनुष्य ने विज्ञान से अनेक सुख-सुविधाएँ प्राप्त की हैं। प्राचीन काल में मनुष्य लंबी दूरी को कठिनाई से तय करता था। आज मोटरगाड़ी, वायुयान की सहायता से वह हजारों मील की दूरी कुछ ही घंटों में तय कर लेता है। रेलगाड़ियों से हम आराम से एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा कर सकते हैं। समुद्र के रास्ते जलयान द्वारा हम अन्य देशों की यात्रा कर सकते हैं। दुनियाँ के देशों के बीच की दूरी को विज्ञान ने समाप्त कर दिया है। टेलिफोन के आविष्कार ने मनुष्य को समय व शक्ति बचाने में सक्षम बनाया है। घर बैठे हम हजारों मील दूर बैठे व्यक्ति से बातचीत कर सकते हैं। व्यापार करने वालों के लिए तो टेलिफोन सबसे उपयोगी वस्तु है।

विज्ञान ने मनुष्य को अनेक मनोरंजन के साधन उपलब्ध करवाए हैं। आज मनुष्य ने पूरी दुनियाँ को विज्ञान पर आधारित बना दिया है। सभी प्रकार के रहस्यों को विज्ञान ने खोलकर रख दिया है। पृथ्वी व आकाश के रहस्यों की खोज करने में विज्ञान ने कोई कमी नहीं रखी है।

चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान ने अत्यधिक प्रगति की है। अनेक प्रकार के रोगों का उपचार विज्ञान से संभव हुआ है। दिल व मस्तिष्क के कठिन आप्रेशन संभव हुए हैं। अनेक भंयकर रोगों से मनुष्य को छुटकारा मिला है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि विज्ञान ने मनुष्य जीवन को सुखी व सुंदर बनाया है
विज्ञान ने हमारे घरेलू जीवन को भी प्रभावित किया है। बिजली व गैस से भोजन पकने लगा है। सिलाई मशीन कपड़े सीलने लगी है। पिसाई की मशीन आटा पीसने लगी। गन्ने से गुड़ व चीनी बनाने वाली मशीनें बनी। जुराब, बनियान और स्वेटर बुनने की मशीनों से कार्य शीघ्रता से होने लगा।

मुद्रण विज्ञान से ज्ञान - विज्ञान के कार्य में तेजी आई। पुस्तकों के द्वारा मानव शिक्षित हुआ आगे आने वाली पीढ़ी के लिए ज्ञान का भण्डार सुरक्षित रखा जाने लगा। मुद्रण विज्ञान ने समाचार-पत्र व पत्रिकाओं को जन्म दिया। विश्व की घटनाओं और समाचारों ने लोगों के ज्ञान भण्डार को विकसित किया है।

अभिशाप - विज्ञान से जहाँ मनुष्य को अनेकानेक प्रकार के लाभ हुए हैं वहाँ हानि की भी अनेक संभावनाएँ उत्पन्न हुई हैं। जिन पर विचार करने मात्र से मनुष्य के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। विज्ञान ने मनुष्य का कल्याण अनेक प्रकार से किया है। एक ओर जहाँ मनुष्य विज्ञान का प्रयोग कर रहा है तथा इसके उपयोग में लाभ देख रहा है, वहीं दूसरी तरफ भंयकर अस्त्रों शस्त्रों द्वारा मानव सभ्यता, संस्कृति तथा आज तक की प्रगति को समाप्त कर देने की संभावनाएँ उत्पन्न हो रही हैं। हिरोशिमा और नागासाकी जैसे सुंदर नगरों को जिन अस्त्र-शस्त्रों ने नष्ट कर दिया, उनसे मानव जीवन खतरे में दिखाई देता है। यान्त्रिक उन्नति ने मनुष्य को आलसी व सुस्त बना दिया है। नभ में उड़ता विमान जरा-सी खराबी के कारण सभी यात्रियों की मौत का कारण बन सकता है। खाना पकाने की गैस भी असावधानी के कारण भंयकर विनाश का दृश्य उत्पन्न करती है। आज प्रदूषण की समस्या विकट हो गई है। भिन्न-भिन्न देशों में वैज्ञानिक हथियारों को इकट्ठा करने की होड़ लगी हुई है। यदि किसी भी भय या अंहकार से इन का प्रयोग हुआ तो होने वाली क्षति को कभी भी पूरा नहीं किया जा सकेगा। वैज्ञानिकों ने अणु बमों का निर्माण किया है। दुर्भाग्य से यदि इनका प्रयोग हुआ तो देश के देश एक साथ नष्ट हो जाएँगे। जहाँ विज्ञान मनुष्य के लिए वरदान है, वही इसका गलत उपयोग अभिशाप बनने के लिए तैयार खड़ा है।

उपसंहार- विज्ञान वरदान है या अभिशाप यह तो मनुष्य पर निर्भर करता है। विज्ञान से मनुष्य को लाभ अधिक हैं, हानियाँ नहीं है। यदि हानियाँ भी है तो उसके गलत प्रयोग से हथियारों की होड़ अगर लगी है तो इसका कारण विश्व व्यवस्था है। आज दुनियाँ में असंतुलित विकास हो रहा है। धनी व गरीब में अंतर बढ़ गया है। विकसित देश अविकसित देशों पर अपना प्रभुत्व जमाना चाहते हैं। महत्वाकांक्षा ने विभिन्न देशों के आपसी संबंधों पर कुप्रभाव डाला है। अतः यदि हम विज्ञान को यह चाहें कि वह अभिशाप सिद्ध न हो तो हमें विश्वव्यवस्था में परिवर्तन लाना होगा। वैज्ञानिक उपकरणों का प्रयोग सावधानी रखकर, सोच-समझकर करना होगा। इस प्रकार विज्ञान मनुष्य के लिए अभिशाप न होकर वरदान सिद्ध होगा।

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