पुस्तकालय की उपयोगिता पर निबंध | Essay Utility of Library in Hindi

 पुस्तकालय की उपयोगिता

मनुष्य एक बुद्धिजीवी प्राणी है। अपनी बुद्धि में वृद्धि करने के लिए वह सदा प्रयास करता रहता है। पुस्तकें ज्ञान का एक सशक्त माध्यम है। पुस्तकों का संग्रहालय पुस्तकालय कहलाता है। यह एक ऐसी संस्था है। जहाँ प्रत्येक व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के जा सकता है। पुस्तकालय में विभिन्न विषयों पर विभिन्न स्तर की पुस्तकें संग्रह की जाती हैं।


पुस्तकालय तीन प्रकार के होते हैं- निजी, विद्यालयी और सार्वजनिक। सभी बड़े विद्यालयों में और कॉलेजों में अपने- अपने पुस्तकालय होते हैं। इन पुस्तकालयों में अधिकतर पुस्तकें उन विषयों से संबंधित होती हैं जो सामान्यतः इन शिक्षण संस्थानों में पढ़ाए जाते हैं। इन पुस्तकों में विद्यार्थी और अध्यापक दोनों अपने ज्ञान में वृद्धि करते हैं। सार्वजनिक पुस्तकालयों में ज्ञानवर्धक व मनोरंजन प्रदान करने वाली पुस्तकों की संख्या अधिक होती है। सार्वजनिक पुस्तकालय जनता के लिए होते हैं। कोई निश्चित शुल्क देकर इनका सदस्य बना जा सकता है।

पुस्तकालय एक प्रकार से विद्या का मंदिर है। पुस्तकालय में बच्चे-बूढ़े, युवक, युवतियाँ सभी आ सकते हैं और अपनी रुचि के अनुसार पुस्तकें प्राप्त कर सकते हैं। पुस्तकालय में हर विषय और हरेक की रुचि की पुस्तकें होती हैं। कोई उपन्यास पढ़ना पसन्द करता है तो कोई कहानी, कोई विज्ञान की पुस्तकें पसंद करता है तो कोई इतिहास की। पुस्तकालयों में धार्मिक विषयों से संबंधित पुस्तकें भी उपलब्ध होती हैं।

पुस्तकालय एक ऐसा स्थान है जहाँ मनुष्य अपने अवकाश के समय का सदुपयोग कर सकता है। पुस्तकें मनुष्य के ज्ञानार्जन और मनोरंजन का उत्तम साधन है। पुस्तकें मनुष्य के एकांत की साथी और अंतरंग मित्र हैं।
पुस्तकालय विद्यार्थियों और अध्यापकों का मार्गदर्शक है। अध्यापक अपने विषय का विस्तृत ज्ञान दे सकता है, ऐसा असंभव नहीं है। उसे अपने विषय के विस्तृत अध्ययन के लिए पुस्तकों का सहारा लेना पड़ता है। पुस्तकालय में अध्यापकों और विद्यार्थियों को एक ही विषय पर कई विद्वानों की पुस्तकें मिल जाती हैं। इस प्रकार अध्यापकों और विद्यार्थियों को पुस्तकों पर अधिक धन खर्च नहीं करना पड़ता पुस्तकालयों में ऐसी पुस्तकें भी होती हैं जिनका और कहीं मिलना मुश्किल होता है। पुस्तकालयों में पुरानी तथा नई सभी प्रकार की पुस्तकें मिल जाती हैं। इस प्रकार योग्य विद्यार्थियों को अपने विषय को तैयार करने में विशेष कठिनाई नहीं होती।

इसके अतिरिक्त पुस्तकालय का वातावरण विद्यार्थियों को पढ़ने में सहायता देता है। पुस्तकालयों में ज्ञान के साथ-साथ मनोरंजन की भी पुस्तकें होती हैं। पुस्तकें पढ़ने से समय का सदुपयोग होता है तथा हमारे ज्ञान में भी वृद्धि होती है।

वस्तुतः पुस्तकालय हमें अज्ञान के अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। परन्तु इसे भारत का दुर्भाग्य कहना चाहिए कि हमारे देश में पुस्तकालयों की संख्या इतनी नहीं है जितनी होनी चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह बड़ी संख्या में पुस्तकालय खोले जिससे देशवासियों का बौद्धिक विकास तथा मनोरंजन हो ।

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